After the previous two excerpts, Old Diary again....
कोई अपना सा...... (Dec 2002)
हवाओं के किसी कोने से ,
उसने मुझे आवाज़ लगाया...
अपनी बाहें फैलाकर,
उसने मुझे पास बुलाया....
आहिस्ता मेरे गालो को सहलाकर,
वो दो बोल प्यार के सुनाया....
और मेरी आँखों में ऑंखें डालकर,
कुछ ऐसा जादू चलाया ......
एक ही पल में इतना कुछ हो गया,
की मुझे खुद को संभालना भी न आया.....
फिर धीरे से मेरे होठों को छूकर ,
उसने मुझे गले लगाया....
अब कहने को और क्या बाकि रहा,
जब 'मौत' ने मुझे अपना बनाया........
कोई अपना सा...... (Dec 2002)
हवाओं के किसी कोने से ,
उसने मुझे आवाज़ लगाया...
अपनी बाहें फैलाकर,
उसने मुझे पास बुलाया....
आहिस्ता मेरे गालो को सहलाकर,
वो दो बोल प्यार के सुनाया....
और मेरी आँखों में ऑंखें डालकर,
कुछ ऐसा जादू चलाया ......
एक ही पल में इतना कुछ हो गया,
की मुझे खुद को संभालना भी न आया.....
फिर धीरे से मेरे होठों को छूकर ,
उसने मुझे गले लगाया....
अब कहने को और क्या बाकि रहा,
जब 'मौत' ने मुझे अपना बनाया........
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